Friday, March 13, 2009

मेरी भावना

भावनाओ में वहता हूँ तो लोग कायर समझते हे
भावनाओ में नही वहता हो तो लोग पत्थर दिल समझते हे
नही आता मुझे समझ करू में क्या
दिल करता जाके लगा दू उन पहाडो से छलाग
फिर में भावनाओ में बह जाता हु ।
माँ की ममता की छाँव में
बहन की राखी में
किसी के प्यार में
लेकिन सोचता हु
कब तक बंधा रहूगा इनकी भावनाओ में
कभी तो जाना ही होगा इन भावनाओ को तोड़कर
क्योंकि नही रख पाउँगा जिन्दगी के बाद
इन भावनाओ को सहेजकर

1 comment:

jeet said...

dear mast hai
kiska teepa hai i m jocking but very good blog.


all the best
atul sharma
Delhi
Atul_sharma_nic_in@yahoo.co.in